Panchayat 3 : आज लगा ‘पंचायत’ का तड़का, तीसरी बार भी दिल जीत लेंगे फुलेरा गांव के लोग
Panchayat 3 : आज ‘पंचायत’-3 वेब सीरीज का तड़का लग गया है. लगभग 35 से 40 मिनट के ये 8 एपिसोड आपको एक बार फिर फुलेरा गांव में ले जाते हैं और वो एहसास कराते हैं जो शायद हमने महसूस करना बंद कर दिया है.
पंचायत सीज़न 3 की कहानी
इस बार भी पंचायत सीजन 3 की कहानी फुलेरा गांव की है, यहां सचिव का ट्रांसफर रोक दिया गया है या यूं कहें कि रूकवा दिया गया है. ग्राम आवास योजना के तहत फुलेरा पूर्व और पश्चिम को दिए गए मकानों को लेकर विवाद है. विधायक और गांव वालों के बीच तकरार होती है और सेक्रेटरी जी और रिंकी की प्रेम कहानी आगे बढ़ती है. प्रहलाद जीवन में आगे बढ़ता है और उसकी कहानी के साथ-साथ हम भी आगे बढ़ते हैं और सोचते हैं कि हम जीवन में कितना आगे बढ़े हैं, कितना भागे हैं. गांव की इस कहानी को रुकना चाहिए, ठहरना चाहिए, महसूस करना चाहिए.
पंचायत सीज़न 3 वेब सीरीज़ कैसी है?
पंचायत सीजन 3 सीरीज देखने के बाद आपका अपने गांव जाने का मन करेगा और अगर आपके पास गांव नहीं है तो किसी दोस्त के गांव जाने का मन करेगा. पहले दो सीज़न की तरह ये सीरीज़ भी आपको खुद से जोड़ती है, बहुत कुछ महसूस कराती है, यहां तक कि मुफ़्त का घर पाने के लिए भी एक बेटा अपनी बूढ़ी मां से लड़ता है और उसे घर से बाहर नहीं निकाल पाता है ताकि उसे वो मिल सके घर.
प्रह्लाद तुरंत अपने बैंक खाते से 5 लाख रुपये गांव के लिए ले आता है जबकि आज कोई 5 रुपये नहीं देता. प्रहलाद का विकास से यह कहना कि तुम अपने बेटे की पढ़ाई की चिंता मत करो, बताता है कि इंसानियत और मासूमियत दोनों जिंदा हैं. यह वेब सीरीज आपको यह अहसास कराती है कि शहरों में जिंदगी भले ही आगे बढ़ गई हो लेकिन जिस शांति की तलाश इन बड़े शहरों में रहने वाले लोगों को होती है वह सिर्फ गांवों में ही मिलती है.
पंचायत सीज़न 3 सीरीज़ की कहानी बिल्कुल एक कविता की तरह आगे बढ़ती है. ऐसी गति से जो न तो बहुत तेज़ हो और न ही बहुत धीमी, आप बस उसके साथ चलते रहते हैं और दृश्य बहुत सरल होते हैं और आपको बहुत कुछ महसूस कराते हैं, सिखाते हैं, कुछ देते हैं. जब ये वेब सीरीज खत्म होती है तो आपको लगता है कि गांव वाले तो जिंदगी जी रहे हैं लेकिन हम तो बस जी रहे हैं.
अभिनय
‘पंचायत 3’ की जान इसकी राइटिंग और एक्टर्स हैं, इस बार भी हर एक्टर ने कमाल किया है. सचिव की भूमिका में जीतेंद्र कुमार फिर लाजवाब हैं, फुलेरा गांव लौटकर खुश भी हैं और यहां की समस्याओं से परेशान भी हैं, रिंकी से प्यार भी है और पढ़ाई भी करनी है, हर अभिव्यक्ति में लाजवाब हैं. प्रधान जी के किरदार में रघुबीर यादव की एक्टिंग बेजोड़ है, वो ऐसे एक्टर हैं जिनकी एक्टिंग की आप समीक्षा नहीं कर सकते. हर बार अद्भुत काम करता है.
नीना गुप्ता का काम शानदार है, अक्सर सोशल मीडिया पर बेहद मॉडर्न अंदाज में नजर आने वाली नीना गुप्ता यहां सिंपल साड़ी में सबका दिल जीत लेती हैं. प्रह्लाद के किरदार में फैसल मलिक का काम जबरदस्त है, बेटे की मौत के बाद एक पिता पर क्या बीतती है, इसका एहसास फैसल आपको बखूबी कराते हैं. विकास के किरदार में चंदन रॉय ने एक बार फिर कमाल का काम किया है. रिंकी के किरदार में सांविका कमाल की लगती हैं, उनका सिंपल और सहज अंदाज दिल जीत लेता है.
बनारसक यानी भूषण की भूमिका में दुर्गेश कुमार जबरदस्त हैं, वह कमाल के अंदाज में करवट बदलते हैं और उनके एक्सप्रेशन हर बार कमाल के होते हैं. बिनोद के किरदार में अशोक पाठक एक बार फिर कमाल करते हैं. अब वह कान्स गए हैं और यहां उन्हें देखकर यह समझ आता है कि यह एक्टर वहां तक कैसे पहुंचा. विधायक के रूप में पंकज झा जबरदस्त हैं, वे इस गांव में अराजकता की जड़ हैं और उन्होंने इस भूमिका को बहुत मजबूती से निभाया है. क्रांति देवी की भूमिका में सुनीता रजवार ने शानदार काम किया है.
लेखन एवं निर्देशन
इस सीरीज को चंदन कुमार ने लिखा है और दीपक कुमार मिश्रा ने इसका निर्देशन किया है, इस वेब सीरीज की मुख्य खासियत इसका लेखन और निर्देशन है. यह कहीं भी खिंचा हुआ नहीं लगता है, यह ओवर द टॉप नहीं लगता है, साधारण सी बात को सरल तरीके से लिखा और प्रस्तुत किया गया है. कहीं भी आप निर्देशक को अपनी पकड़ ढीली करते हुए नहीं देखते हैं, हर किरदार को महत्व दिया गया है और यही कारण है कि यह वेब सीरीज़ आपका दिल जीत लेती है.