पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में सीएम हेमंत सोरेन ने गृह मंत्री अमित शाह से रांची में मेट्रो रेल और बकाया 1.40 लाख करोड़ रुपये दिलाने की मांग रखी
inlive247 desk: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में केंद्र पर झारखंड के बकाये का मुद्दा एक बार फिर उठा. राजधानी रांची के रेडिसन ब्लू होटल में आयोजित इस बैठक में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने संबोधन में अतिथियों का स्वागत करते हुए गृह मंत्री से कोयला कंपनियों पर रॉयल्टी और अन्य मदों में बकाया 1 लाख 40 हजार 433 करोड़ रुपये का भुगतान जल्द से जल्द कराने का आग्रह किया.
उन्होंने कहा कि झारखंड राज्य में कोयला खनन मुख्य रूप से कोल इंडिया लिमिटेड की इकाइयों जैसे सीसीएल, बीसीसीएल, ईसीएल द्वारा किया जाता है. इन कोयला कंपनियों पर राज्य सरकार का भूमि मुआवजा मद में 1 लाख 1 हजार करोड़ रुपये, कॉमन कॉज मद में 34 हजार 213 करोड़ रुपये और कोयला रॉयल्टी मद में 6 हजार 219 करोड़ रुपये बकाया है.
इसके अलावा, मुख्यमंत्री ने कोयला खनन अधिनियम में संशोधन के माध्यम से कोयला कंपनियों को कोयला खनन के बाद किसी अन्य व्यावसायिक उद्देश्य हेतु भूमि आवंटित करने का अधिकार देने के प्रयास पर भी असहमति व्यक्त करते हुए कहा कि भूमि का अधिकार भारत के संविधान द्वारा राज्य सरकार को दिया गया है. खनन के बाद, भूमि का पुनर्व्यवस्थापन करके कोयला कंपनियों द्वारा राज्य सरकार को वापस कर दिया जाना चाहिए.
बंद खदानों को विधिवत बंद करना कोयला कंपनियों की जिम्मेदारी है, लेकिन वे ऐसा नहीं कर रही हैं, जिससे जान-माल की हानि हो रही है. अवैध खनन को भी बढ़ावा मिल रहा है। इसलिए, बंद हो चुकी खदानों को विधिवत बंद किया जाना चाहिए ताकि पर्यावरण की रक्षा हो सके और अवैध खनन पर भी रोक लग सके.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक को संबोधित करते हुए परिषद से आग्रह किया कि झारखंड राज्य का पूर्वोत्तर राज्यों से बेहतर संपर्क स्थापित करने के लिए राजमहल से मानिकचक मालदा, पश्चिम बंगाल के बीच प्रस्तावित पुल का निर्माण जल्द से जल्द शुरू करने का प्रयास किया जाए. उन्होंने कहा कि इसके निर्माण की 50 प्रतिशत लागत राज्य सरकार द्वारा वहन की जाएगी.
उन्होंने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों और खनिज संपदा से भरपूर झारखंड की खनिज संपदा ने राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, लेकिन झारखंड राज्य के निवासियों को इसकी कीमत भी चुकानी पड़ी है. खनन क्षेत्र में रहने वाले लोग, जो अधिकतर आदिवासी और पिछड़े वर्ग से आते हैं, उनके स्वास्थ्य और जीवनशैली पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. इसलिए मैं भारत सरकार से डीएमएफटी नीति में संशोधन की मांग करता हूँ, ताकि खनन क्षेत्र में रहने वाले लोगों को इसका समुचित लाभ मिल सके और केंद्र सरकार के सार्वजनिक उपक्रमों में होने वाली नियुक्तियों में उन्हें प्राथमिकता दी जाए.
साहिबगंज में एयर कार्गो हब विकसित करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार हवाई अड्डे के निर्माण के लिए भूमि की पहचान और अधिग्रहण करेगी और इसका लाभ सभी सीमावर्ती राज्यों को मिलेगा. इसलिए साहिबगंज में हवाई अड्डे के निर्माण की 100 प्रतिशत लागत भारत सरकार द्वारा वहन की जानी चाहिए.
राज्य में रेल संपर्क बढ़ाने की मांग करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि चक्रधरपुर, धनबाद, रांची जैसे देश के सबसे अधिक आय वाले रेल मंडल झारखंड में हैं, इसके बावजूद झारखंड में रेल नेटवर्क का अपेक्षित विकास नहीं हो पाया है. आज भी राज्य के कई जिला मुख्यालयों में रेल संपर्क उपलब्ध नहीं है.
राजधानी रांची में मेट्रो रेल परियोजना को मंजूरी देने की मांग करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की राजधानी होने के कारण रांची शहर की आबादी का शहरीकरण तेजी से हुआ है. वर्तमान में रांची शहर और सीमावर्ती क्षेत्र की आबादी 20 लाख से अधिक है. राजधानी रांची की बढ़ती यातायात आवश्यकताओं को देखते हुए परिवहन के आधुनिक, तेज और प्रदूषण मुक्त विकल्प के रूप में मेट्रो रेल प्रणाली का विकास अत्यंत आवश्यक है.
इस अवसर पर वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में राज्य सरकार द्वारा रखी गई मांग का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत सरकार के गृह विभाग द्वारा निर्धारित लगभग 20 एजेंडों पर चर्चा की गई. इस बैठक में बिहार और झारखंड के बीच मयूराक्षी की समस्या सहित कई विषयों पर चर्चा हुई.
बैठक में कानून-व्यवस्था और महिलाओं पर अत्याचार पर चर्चा के दौरान हस्तक्षेप करते हुए हमने कहा कि उग्रवाद पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है, लेकिन उस पर नियंत्रण ज़रूर हुआ है. इसलिए राज्यों को एसआरई फंड की ज़रूरत है, जो पिछले दो वर्षों से बंद है. यह केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकार को दिया जाता था, जिससे कई तरह की समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं. फंड की कमी के कारण झुमरा एक्शन प्लान, सरयू एक्शन प्लान जैसी कई कार्ययोजनाएँ क्रियान्वित नहीं हो पा रही हैं. राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से एसआरई और विशेष सहायता पैकेज की माँग की है.

