Kejriwal Bail: केजरीवाल मुख्यमंत्री के तौर पर नहीं कर सकते काम, जानें और किन शर्तों के साथ सुप्रीम कोर्ट ने दी जमानत
Kejriwal Bail: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत दे दी. ईडी की गिरफ्तारी के खिलाफ केजरीवाल की याचिका पर फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने मामले को बड़ी बेंच को भेजने की सिफारिश की और दिल्ली के मुख्यमंत्री को अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश भी दिया.
सशर्त मिली जमानत
देश की सबसे बड़ी अदालत ने केजरीवाल की रिहाई पर कई शर्तें भी रखी हैं. जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की बेंच ने कहा है कि जमानत अवधि के दौरान वह सीएम के तौर पर काम नहीं कर सकते. शीर्ष अदालत ने कहा कि केजरीवाल को 50 हजार रुपये का बेल बॉन्ड भरना होगा और इतनी ही रकम की जमानत देनी होगी.
मुख्यमंत्री कार्यालय या सचिवालय नहीं जा सकते
सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर केजरीवाल के मुख्यमंत्री के तौर पर काम करने पर रोक लगा दी है. इसका मतलब यह है कि अगर केजरीवाल को सीबीआई केस में जमानत मिल भी जाती है तो वह जेल से बाहर तो आ सकते हैं, लेकिन मुख्यमंत्री के तौर पर काम नहीं संभाल पाएंगे. इससे पहले जब इसी बेंच ने 10 मई को 21 दिन की अंतरिम जमानत दी थी, तब भी केजरीवाल पर ऐसी शर्तें लगाई गई थीं. कोर्ट ने कहा है कि जब तक केजरीवाल अंतरिम जमानत पर हैं, तब तक वह मुख्यमंत्री कार्यालय या दिल्ली सचिवालय नहीं जा सकते. इसके अलावा केजरीवाल तब तक किसी फाइल पर साइन नहीं कर सकते जब तक एलजी से मंजूरी लेने के लिए ऐसा करना जरूरी न हो. एक अन्य शर्त के तहत केजरीवाल मौजूदा मामले में अपनी भूमिका को लेकर कोई बयान नहीं दे सकते. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केजरीवाल किसी गवाह से बात नहीं कर सकते और न ही इस केस से जुड़ी कोई आधिकारिक फाइल देख सकते हैं.
बड़ी बेंच जमानत पर ले सकती है फैसला
कोर्ट ने कहा है कि अंतरिम जमानत को बड़ी बेंच बढ़ा सकती है या वापस ले सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई पूरी करने के बाद 17 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था. शुक्रवार को फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री 90 दिनों से ज्यादा समय से जेल में हैं और जब तक बड़ी बेंच इस मामले की सुनवाई नहीं कर लेती, तब तक उन्हें अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाए. हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा कि केजरीवाल को खुद तय करना है कि वह मुख्यमंत्री पद पर बने रहना चाहते हैं या इसे छोड़ना चाहते हैं. कोर्ट ने इस मामले में दखल देने से इनकार कर दिया.