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हाईकोर्ट से आयुर्वेदिक चिकित्सकों को बड़ी राहत, सेवानिवृत्त उम्र 65 साल मान लाभ देने का निर्देश

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Ranchi: झारखंड हाईकोर्ट से आयुर्वेद चिकित्सकों को सेवानिवृत्ति आयु सीमा को लेकर बड़ी राहत मिली है. हाईकोर्ट की एकलपीठ ने आयुर्वेदिक चिकित्सकों की सेवानिवृत्ति आयु सीमा राज्य सरकार की वर्ष 2011 की अधिसूचना की तिथि से 60 से 65 वर्ष मानते हुए उन्हें देय लाभ का भुगतान करने का निर्देश दिया है. राज्य सरकार ने केंद्र सरकार की तर्ज पर वर्ष 2011 में एलोपैथी चिकित्सकों की सेवानिवृत्ति आयु सीमा 60 से बढ़ाकर 65 वर्ष कर दी थी. लेकिन आयुर्वेदिक चिकित्सकों की सेवानिवृत्ति आयु सीमा में कोई बदलाव नहीं किया गया, जिससे नाराज होकर याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और कहा कि एलोपैथी चिकित्सकों की तरह उनकी सेवानिवृत्ति आयु सीमा भी 60 से बढ़ाकर 65 वर्ष करने की मांग की.

हाईकोर्ट की एकलपीठ ने इस पर आदेश देते हुए कहा कि आयुर्वेदिक चिकित्सकों को एलोपैथी चिकित्सकों के समतुल्य मानते हुए उनकी सेवानिवृत्ति आयु भी राज्य सरकार की वर्ष 2011 की अधिसूचना की तिथि से 60 से बढ़ाकर 65 वर्ष की जाए. इस बीच वर्ष 2021 में राज्य सरकार ने केंद्र सरकार की तर्ज पर एक अधिसूचना जारी की थी, जिसमें आयुर्वेदिक चिकित्सकों की सेवानिवृत्ति की आयु वर्ष 2021 की तिथि से 60 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष कर दी गई थी. आवेदकों ने हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर कर कहा था कि यदि उन्हें एलोपैथिक चिकित्सकों के समकक्ष माना जाता है तो वर्ष 2011 की राज्य सरकार की अधिसूचना के आधार पर उन्हें देय लाभ दिया जाए और उनकी आयु सीमा भी एलोपैथिक चिकित्सकों की तरह उसी तिथि से 60 से 65 वर्ष की जाए. जिस पर मंगलवार को झारखंड हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए आयुर्वेदिक चिकित्सकों की सेवानिवृत्ति की आयु सीमा वर्ष 2011 की तिथि से 60 से 65 मानते हुए सेवानिवृत्त हुए आयुर्वेदिक चिकित्सकों को सभी लाभ देने का निर्देश दिया है. मामले को लेकर आयुर्वेद चिकित्सा पदाधिकारी रवींद्र नाथ प्रसाद समेत तीन याचिकाएं हाईकोर्ट में दायर की गई थी. आवेदक वर्ष 2014 से वर्ष 2019 के बीच सेवानिवृत्त हुए हैं.

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