आलू विवाद : बंगाल ने आलू रोका तो इन दो राज्यों ने झारखंड के सहयोग के लिए बढ़ाया हाथ
Ranchi : पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार द्वारा आलू की आपूर्ति पर लगाई गई रोक चौथे दिन भी जारी रही. उधर, झारखंड सरकार ने आलू को लेकर गंभीरता दिखाई है और बंगाल सरकार से बातचीत जरूर की है, लेकिन इसका कोई नतीजा निकलता नहीं दिख रहा है. ऐसे में झारखंड के बाजारों में आलू की आपूर्ति जारी रखने के लिए कारोबारियों ने उत्तर प्रदेश का रुख किया है. झारखंड के बाजारों में अब पश्चिम बंगाल की बजाय ज्यादातर आलू उत्तर प्रदेश से आ रहा है.
हालांकि पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश के आलू के स्वाद में अंतर के कारण बंगाल के आलू की मांग ज्यादा है. इसके बावजूद कारोबारी मौजूदा हालात को देखते हुए उत्तर प्रदेश और पंजाब से आलू मंगवाकर झारखंड के लोगों को आलू उपलब्ध कराने में लगे हैं. आलू प्याज विक्रेता संघ के अध्यक्ष मदन कुमार बताते हैं कि रांची के पंडरा बाजार समिति में हर दिन करीब 600 टन आलू की आपूर्ति होती है, जो यहां से ओडिशा सीमा तक जाता है. लेकिन बंगाल से आलू की आपूर्ति बंद होने के बाद उत्तर प्रदेश और पंजाब से आलू मंगवाकर मांग को पूरा किया जा रहा है. सोमवार को भी पंडरा बाजार समिति में उत्तर प्रदेश से करीब 20 ट्रक यानी 600 टन आलू आया.
राज्य में पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और पंजाब से हर दिन करीब 500 ट्रक आलू की आपूर्ति होती है. अकेले रांची के पंडरा बाजार समिति में औसतन 30 ट्रक आलू की खपत होती है. इसमें से अधिकांश मांग की पूर्ति पश्चिम बंगाल से होती है.
इस बाजार में हर दिन पश्चिम बंगाल से करीब 20 ट्रक आलू आता है, बाकी उत्तर प्रदेश और पंजाब से आता है. फिलहाल बदली परिस्थिति में झारखंड के व्यवसायियों ने मांग को पूरा करने के लिए उत्तर प्रदेश और पंजाब से आलू मंगाना शुरू कर दिया है.
हालांकि स्वाद के लिहाज से बंगाल का आलू ज्यादा पसंद किए जाने के कारण बाजार में इसकी कीमत बढ़ गई है. 30 से 35 रुपये किलो बिकने वाला बंगाल का आलू आज खुदरा में 40 से 45 रुपये किलो तक पहुंच गया है.
इधर, मुख्य सचिव अलका तिवारी ने सभी जिला उपायुक्तों को आलू की किल्लत पर नजर रखने को कहा है. इसके बाद रांची के उपायुक्त ने व्यवसायियों के साथ बैठक कर जायजा लिया और राजधानी में आलू की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए.
खैर, बंगाल से आपूर्ति बंद होने के बाद उत्तर प्रदेश और पंजाब से आलू की आपूर्ति होने से झारखंड को राहत जरूर मिली है. लेकिन तीन दिनों के भीतर प्रति बोरी 400 रुपये की बढ़ोतरी ने आम लोगों की जेब पर असर जरूर डाला है.