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Rule Change : 1 जुलाई से तीन नए क्रिमिनल लॉ होंगे लागू, गिरफ्तारी से लेकर कस्टडी तक बदल जाएंगे नियम

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New Delhi : पहली जुलाई से तीन नए क्रिमिनल लॉ लागू होने जा रहे हैं. इसके बाद 1860 में बने आईपीसी की जगह भारतीय न्यायिक संहिता, सीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह भारतीय साक्ष्य संहिता लागू हो जाएगी.

इन तीन नए कानूनों को लाने का उद्देश्य ब्रिटिश काल से चले आ रहे पुराने नियम-कायदों को खत्म करना और आज की जरूरतों के हिसाब से कानून लागू करना है. इन तीन नए कानूनों के लागू होने के बाद आपराधिक कानून व्यवस्था में काफी बदलाव आएगा. जैसे, अब देश में कहीं भी जीरो एफआईआर दर्ज हो सकेगी. कुछ मामलों में आरोपी की गिरफ्तारी के लिए वरिष्ठ से अनुमति लेनी होगी. अब पुलिस कुछ मामलों में आरोपी को हथकड़ी लगाकर गिरफ्तार कर सकती है.

अब कहीं भी जीरो एफआईआर

अब देश में कहीं भी जीरो एफआईआर दर्ज हो सकेगी. इसमें धाराएं भी जोड़ी जाएंगी. अभी तक जीरो एफआईआर में धाराएं नहीं जोड़ी जाती थीं. जीरो एफआईआर को 15 दिन के अंदर संबंधित थाने में भेजना होगा. नए कानून में पुलिस की जवाबदेही भी बढ़ाई गई है. हर राज्य सरकार को अब हर जिले के हर थाने में एक पुलिस अधिकारी नियुक्त करना होगा, जो किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी से जुड़ी सारी जानकारी रखने के लिए जिम्मेदार होगा.

पुलिस को अब पीड़ित के मामले से जुड़ी जांच की प्रगति रिपोर्ट 90 दिनों के भीतर देनी होगी. पुलिस को 90 दिनों में चार्जशीट दाखिल करनी होगी. स्थिति के हिसाब से कोर्ट 90 दिन और दे सकता है. 180 दिन यानी छह महीने में जांच पूरी करके ट्रायल शुरू करना होगा.

कोर्ट को 60 दिनों के भीतर आरोप तय करने होंगे. सुनवाई पूरी होने के बाद 30 दिनों के भीतर फैसला सुनाना होगा. फैसला सुनाने और सजा सुनाने के लिए सिर्फ 7 दिन का समय दिया जाएगा.

गिरफ्तारी के नियम क्या हैं?

गिरफ्तारी के नियमों में ज्यादा बदलाव नहीं किया गया है. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 35 में एक नई उपधारा 7 जोड़ी गई है. इससे छोटे अपराधियों और बुजुर्ग लोगों की गिरफ्तारी के नियम बन गए हैं.

धारा 35 (7) के अनुसार, तीन साल या उससे कम की सजा वाले अपराधों में आरोपी को गिरफ्तार करने से पहले डीएसपी या उससे उच्च रैंक के अधिकारी की अनुमति लेनी होगी. 60 साल से अधिक उम्र के आरोपी की गिरफ्तारी के लिए भी यही करना होगा. हालांकि, नए कानून में पुलिस हिरासत को सख्त कर दिया गया है. अभी तक आरोपी को गिरफ्तारी की तारीख से अधिकतम 15 दिनों के लिए पुलिस हिरासत में भेजा जा सकता था. उसके बाद कोर्ट आरोपी को न्यायिक हिरासत में भेज देता है. लेकिन अब पुलिस गिरफ्तारी के 60 से 90 दिनों के भीतर कभी भी 15 दिनों की हिरासत मांग सकती है.

नए कानून के मुताबिक, अगर आरोप तय होने के 90 दिन बाद भी आरोपी कोर्ट में पेश नहीं होता है तो उसके खिलाफ ट्रायल शुरू किया जाएगा. ऐसा इसलिए क्योंकि कोर्ट यह मान लेगा कि आरोपी ने निष्पक्ष सुनवाई का अपना अधिकार छोड़ दिया है.

दया याचिका के नियम भी बदले

दया याचिका मौत की सजा पाए दोषी के लिए सजा कम करवाने या माफी पाने का आखिरी विकल्प होता है. जब सभी कानूनी विकल्प खत्म हो जाते हैं तो दोषी को राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर करने का अधिकार होता है.

अभी तक सभी कानूनी विकल्प खत्म होने के बाद दया याचिका दायर करने की कोई समय सीमा नहीं थी. लेकिन अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 472 (1) के तहत सभी कानूनी विकल्प खत्म होने के बाद दोषी को 30 दिन के अंदर राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर करनी होगी.

राष्ट्रपति दया याचिका पर जो भी निर्णय लेंगे, केंद्र सरकार को 48 घंटे के भीतर राज्य सरकार के गृह विभाग और जेल अधीक्षक को सूचित करना होगा.

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