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आज 51 कलश जल से शाही स्नान करेंगे महाप्रभु जगन्नाथ,15 दिनों तक रहेंगे एकांतवास में

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Ranchi: रांची के ऐतिहासिक जगन्नाथपुर मंदिर में बुधवार 11 जून को पारंपरिक देव स्नान यात्रा उत्सव श्रद्धा, भक्ति और वैदिक रीति-रिवाज के साथ मनाया जाएगा. मंदिर प्रशासन ने आयोजन की सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं. कार्यक्रम दोपहर एक बजे शुरू होगा. मंदिर के पुजारियों के अनुसार, दिन की शुरुआत सुबह पांच बजे सुप्रभातम और छह बजे मंगल आरती से होगी. दोपहर 12 बजे भगवान को भोग लगाने के बाद मंदिर के पट बंद कर दिए जाएंगे. इसके बाद भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को जुलूस की शक्ल में गर्भगृह से स्नान मंडप तक लाया जाएगा. तीनों मूर्तियों को 51-51 मिट्टी के घड़ों में रखे औषधीय जल से स्नान कराया जाएगा.

यह पवित्र अनुष्ठान पुजारी रामेश्वर पाडी, सरयू नाथ मिश्रा, कौस्तुभधर नाथ मिश्रा और श्रीराम मोहंती द्वारा संपन्न कराया जाएगा. इस अनुष्ठान के यजमान मंदिर के प्रथम सेवक ठाकुर सुधांशु नाथ शाहदेव होंगे. भव्य स्नान के बाद भगवान को भोग लगाया जाएगा और 108 दीपों से विशेष आरती की जाएगी. भक्त अपने घर से लाए गए गंगाजल से भी भगवान का अभिषेक कर सकेंगे. भक्तों के लिए दोपहर 2 बजे से 3:30 बजे तक जलाभिषेक का विशेष समय तय किया गया है. दोपहर 3:30 बजे से श्री जगन्नाथ अष्टकम, गीता पाठ और दीप आरती होगी.

शाही स्नान के बाद 15 दिनों तक एकांतवास

धार्मिक मान्यता है कि स्नान के बाद महाप्रभु अस्वस्थ हो जाते हैं, जिसके कारण उन्हें गरुड़ मंदिर में 15 दिनों तक एकांतवास में रखा जाता है. इस दौरान केवल राधा-कृष्ण की मूर्तियों के दर्शन होंगे. इस दौरान कलाकार भगवान को नया रूप देते हैं.

26 जून को नेत्रदान महोत्सव, 27 को रथयात्रा

15 दिनों के एकांतवास के बाद महाप्रभु 26 जून को नेत्रदान महोत्सव के अवसर पर शाम 4:30 बजे भक्तों को दर्शन देंगे. अगले दिन 27 जून को भव्य रथ यात्रा निकाली जाएगी, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना है. 6 जुलाई को घुरती रथ यात्रा निकाली जाएगी.

रथ निर्माण जारी

अक्षय तृतीया से रथ यात्रा की तैयारियां शुरू हो जाती हैं. इस वर्ष भी पुरी से दशरथ महाराणा के नेतृत्व में 11 कारीगरों की टीम और स्थानीय कारीगर महावीर लोहार की टीम रथ निर्माण में लगी हुई है. रथ की रंगाई-पुताई और सजावट का काम 26 जून तक पूरा हो जाएगा.

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