Mother’s Day : ’मां’ के बिना कोई दिन नहीं, कैसे करूं तेरा आभार…
Mother’s Day Special : ‘मां’-इस शब्द में प्रेम की विराटता/समग्रता निहित है. किसी ने क्या खूब लिखा है कि…
‘मां’ को शब्दों में बांध पाना असंभव है, वह ममता का वो सागर है जिसमें भावनाएं हिलोरे लेती रहती हैं इसलिए तो कहा गया है कि अगर ईश्वर को देखना है तो मां को देख लेना चाहिए. ‘मां’ के लिए पूरी जिंदगी भी समर्पित कर दी जाए तो मां के ऋण से उऋण नहीं हुआ जा सकता है. संतान के लालन-पालन के लिए हर दुख का सामना बिना किसी शिकायत के करने वाली मां के साथ बिताये दिन सभी के मन में आजीवन सुखद व मधुर स्मृति के रूप में सुरक्षित रहते हैं.
प्रसिद्ध वैज्ञानिक एवं भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने मां की महिमा पर प्रकाश डालते हुए कहा है कि जब मैं पैदा हुआ, इस दुनिया में आया, वह मेरे जीवन का एकमात्र दिन था जब मैं रो रहा था और मेरी मां के चेहरे पर एक संतुष्ट मुस्कान थी. अपनी मां के बारे में अब्राहम लिंकन का मार्मिक कथन है, ‘मैं जो कुछ भी हूं, या होने की आशा करता हूं, उसका श्रेय मेरी प्रिय मां को जाता है.’ एक बच्चे के लिए ‘मां’ शब्द का मतलब केवल पुकारना या संबोधित करना ही नहीं होता, बल्कि उसके लिए मां शब्द में ही पूरी दुनिया बसती है, वहीं मां के लिए बच्चे की खुशी और खुशी ही उसकी दुनिया होती है.