चंपई ने घुसपैठियों को बताया झामुमो का दामाद, कहा-“बांग्लादेशियों के घर पर लगे झंडे बताते है कि हिम्मत कहां से मिलती है”
Jharkhand Assembly Election 2024: झारखंड में चुनावी माहौल चरम पर है. इस बीच पूर्व सीएम और बीजेपी नेता चंपई सोरेन के एक पोस्ट ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है. दरअसल, चंपई सोरेन ने सिदो कान्हू के वंशज मंडल मुर्मू के बीजेपी में शामिल होने और बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे पर झारखंड मुक्ति मोर्चा पर हमला बोला है.
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा है कि, “संथाल हुल के अमर शहीद सिदो कान्हू के वंशज मंडल मुर्मू भी भाजपा में शामिल हुए. उसका कारण क्या आप जानना नहीं चाहते हैं ? आदिवासी समाज से जुड़े मुद्दों को उठाने वाले इस युवा ने यह फैसला क्यों लिया? इसे समझने के लिए आपको संथाल परगना के भोगनाडीह की वीर भूमि का हाल देखना होगा. वहां जाने के रास्ते में और वीरों के उस पवित्र गांव में भी आपको सड़क किनारे कई नए बने पक्के मकान मिलेंगे, जिन पर किसी राजनीतिक पार्टी के झंडे लगे दिख जाएंगे.”
चंपई सोरेन ने दावा किया कि इनमें से ज़्यादातर घर बांग्लादेशी घुसपैठियों के हैं और उन पर लगे झंडे हमें बताते हैं कि उन्हें आदिवासियों की ज़मीन लूटने, बहू-बेटियों की इज्जत से खेलने और आदिवासी समाज के ताने-बाने को बर्बाद करने की हिम्मत कहां से मिलती है. यह झंडा दूसरों को चेतावनी देता है कि किसी खास पार्टी के इन दामादों से पंगा न लें.
‘संथाल परगना की धरती पर घुसपैठियों का कब्जा’
एक्स पर पोस्ट में उन्होंने आगे लिखा कि जिस मिट्टी, बेटी और रोटी के लिए हमारे पूर्वजों ने अंग्रेजों को झुका दिया था, आज संथाल परगना की उसी मिट्टी पर इन घुसपैठियों का कब्जा है. पाकुड़, साहिबगंज समेत अन्य जगहों पर आदिवासी समाज अल्पसंख्यक हो गया है. जिकरहट्टी, मालपहाड़िया, तलवाडांगा, किताझोर समेत दर्जनों गांव ऐसे हैं, जहां आदिवासी ढूंढ़ने पर भी नहीं मिलते. उनके घर, उनकी जमीन और उनके खेतों पर घुसपैठियों ने कब्जा कर लिया है.
इसे देश की अपराध राजधानी बना दिया- चंपई सोरेन
हेमंत सोरेन सरकार पर निशाना साधते हुए चंपई सोरेन ने कहा कि आदिवासियों की हितैषी होने का दंभ भरने वाली यह सरकार हाईकोर्ट में झूठा हलफनामा दाखिल कर सच्चाई को झुठला रही है. जब हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच के लिए तथ्यान्वेषी समिति गठित करने का आदेश दिया तो ये लोग इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चले गए.
उन्होंने कहा कि इससे पता चलता है कि उनकी प्राथमिकता आदिवासियों को बचाना नहीं बल्कि घुसपैठियों को बचाना है. विभिन्न आपराधिक गतिविधियों में शामिल इन घुसपैठियों ने संथाल परगना को देश की अपराध राजधानी बना दिया है. देशभर की पुलिस जामताड़ा और साहिबगंज में हर दिन ड्रग डीलरों, साइबर अपराधियों और सोना तस्करों आदि की तलाश में छापेमारी करती है.
‘उनके चेहरे से आदिवासीवाद का नकाब हटाओ’
पूर्व सीएम ने हमला करते हुए कहा कि आदिवासी समाज की बेटी रुबिका पहाड़िया की हत्या से उनकी दुस्साहस का अंदाजा लगाया जा सकता है, जिसके शरीर को 50-60 टुकड़ों में काटा गया था. क्या आपको अंकिता को जिंदा जलाने की घटना याद है? वोट बैंक के लालच में ऐसे मामलों पर आंखें मूंद लेने वाले और वीर सिदो-कान्हू के वंशज रामेश्वर मुर्मू की हत्या के मामले में परिवार को न्याय दिलाने में विफल रहने वाले कम से कम आदिवासियों के हितैषी तो नहीं ही हो सकते.
चंपई सोरेन ने लिखा कि भाजपा में शामिल होने के बाद मंडल मुर्मू को धमकाया जा रहा है, उनके खिलाफ पोस्टर लगाए जाने की सूचना है. इन सबके पीछे वही लोग हैं जो सोचते हैं कि वे आदिवासियों को हर मुद्दे पर बेवकूफ बना सकते हैं, उन्हें डरा-धमका कर चुप करा सकते हैं. उन्हें असली डर यह है कि कहीं हम उनके चेहरे से आदिवासीवाद का मुखौटा न उतार दें. दुनिया को उनकी सच्चाई पता न चल जाए.
कांग्रेस पर भी हमला
भाजपा नेता चंपई सोरेन ने आगे कहा कि झारखंड आंदोलन के दौरान दर्जनों गोलियां चलाकर आंदोलन को दबाने की हिमाकत करने वाली कांग्रेस हमेशा आदिवासी और झारखंड विरोधी रही है. उन्होंने ही 1961 में जनगणना से आदिवासी धर्म कोड को हटाया था. फिर उनके सहयोगियों से हम क्या उम्मीद कर सकते हैं? हमारे द्वारा अंतिम रूप दिए गए पेसा कानून को रोकने वालों, प्राथमिक विद्यालयों में आदिवासी भाषा पढ़ाने के हमारे प्रयासों पर बैठने वालों और युवाओं को सड़कों पर आने के लिए मजबूर करने वालों से राज्य की जनता हिसाब लेगी. झारखंड से इस आदिवासी विरोधी सरकार की विदाई की उल्टी गिनती शुरू हो गई है, बस दो हफ्ते और.