Pakistan Taliban War: अफगान ने पाकिस्तान पर किया हमला, मारे गए 58 सैनिक, 25 सैन्य चौकियों पर कब्ज़ा का दावा
Pakistan Taliban War: अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान की सीमा पर हालात अचानक गंभीर हो गए हैं. रविवार को तालिबान की ओर से दावा किया गया कि उसके सीमा सुरक्षा बलों ने पाकिस्तान की 25 सैन्य चौकियों पर नियंत्रण हासिल कर लिया है. तालिबान के प्रवक्ता ज़बीहुल्लाह मुजाहिद ने जानकारी दी कि इस मुठभेड़ में 58 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए, जबकि 30 से अधिक घायल हुए हैं. यह टकराव हाल के वर्षों में दोनों देशों के बीच सबसे बड़े संघर्षों में से एक माना जा रहा है.
ترجمان ذبیح اللہ مجاہد کا پریس کانفرنس
— امارتِ اسلامی اردو (@IEAUrduOfficial) October 12, 2025
پاکستان آخر ایسی کارروائیوں پر کیوں اُتر آیا ہے؟ کہ پاکستانی فوج کے اندر ایک مخصوص گروہ ہے جسے یہ کام سونپا گیا ہے۔ میرا خیال ہے کہ ممکن ہے یہ سب کچھ بڑی طاقتوں کو خوش کرنے کے لیے کیا جا رہا ہو۔ پاکستان خود بھی ان کا یرغمال بن چکا ہے اور… pic.twitter.com/TTUmEyI2vM
हालांकि पाकिस्तान सरकार की ओर से इस संबंध में कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है, लेकिन जानकारी निकलकर सामने आ रही है कि सीमा पर तैनात सुरक्षाबलों को उच्च सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं. इस बीच प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा है कि पाकिस्तान की सुरक्षा और संप्रभुता से किसी भी हाल में समझौता नहीं किया जाएगा, और यदि कोई उकसावे की कार्रवाई हुई तो उसका जवाब पूरी ताक़त से दिया जाएगा.
तालिबान की सफाई
तालिबान प्रशासन ने इस सैन्य कार्रवाई को पाकिस्तान द्वारा अफ़ग़ान हवाई और सीमा क्षेत्र में बार-बार किए गए कथित उल्लंघनों का प्रतिकार बताया है. अफ़ग़ानी मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, तालिबान बलों ने सीमा के कई रणनीतिक स्थानों पर कब्ज़ा जमा लिया है.
साथ ही, अफ़ग़ान सरकारी मीडिया ने यह आरोप लगाया है कि पाकिस्तान ने हाल ही में काबुल और पूर्वी अफ़ग़ानिस्तान के एक बाज़ार पर हवाई हमले किए, जिनमें आम नागरिकों की मौत हुई. पाकिस्तान ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इन्हें झूठा और बेबुनियाद बताया है.
इस्लामाबाद में चिंता
इस घटनाक्रम के बाद पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में राजनीतिक हलकों में बेचैनी का माहौल है. आर्थिक चुनौतियों और राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रही शहबाज़ शरीफ़ सरकार के लिए यह नया संकट एक बड़ी चुनौती बनकर उभरा है.
विशेषज्ञों का मानना है कि यह संघर्ष केवल सीमित इलाके तक सीमित नहीं रहेगा. इसका प्रभाव पूरे दक्षिण एशिया की भू-राजनीतिक स्थिरता पर पड़ सकता है. अगर संघर्ष और गहराया, तो इसका असर भारत, ईरान और चीन जैसे पड़ोसी देशों पर भी महसूस किया जा सकता है. इसके साथ ही, अफ़ग़ान शरणार्थी संकट और आतंकवाद की समस्या भी और गंभीर हो सकती है.