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Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति के दिन क्यों बनाते हैं काली दाल की खिचड़ी, जानें रहस्य व पूजा का शुभ मुहूर्त

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Makar Sankranti 2025 : मकर संक्रांति हमारे देश के प्रमुख त्योहारों में से एक है. इस त्योहार को मनाने का मुख्य कारण यह है कि इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है और मौसम में बदलाव होने लगता है. इस दिन को नई फसल के स्वागत के लिए भी विशेष दिन माना जाता है. मकर संक्रांति को लेकर भारत के विभिन्न प्रांतों में अलग-अलग रीति-रिवाजों और परंपराओं का पालन किया जाता है. देश के अलग-अलग राज्यों में इस त्योहार को अलग-अलग नामों से जाना जाता है.

उत्तर भारत में जहां इसे खिचड़ी के नाम से जाना जाता है, वहीं बिहार में इसे सकरांत और हिमाचल प्रदेश में माघ साजी कहते हैं. दक्षिण भारत में इसे पोंगल और गुजरात में उत्तरायण कहते हैं. इसी तरह असम में इस त्योहार को बिहू के नाम से जाना जाता है. इस साल यह त्योहार 14 जनवरी, मंगलवार को मनाया जाएगा. इस दिन सुबह 8:55 बजे सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करेंगे. इस दिन सुबह 8:55 बजे से 9:29 बजे तक का समय महापुण्य काल रहेगा, जो दान और पूजा-पाठ के लिए बहुत शुभ माना जाएगा.

काली उड़द की दाल की खिचड़ी बनाने की है परंपरा

मकर संक्रांति की कई अलग-अलग परंपराओं में से एक अनोखी परंपरा काली उड़द की दाल की खिचड़ी बनाने की है. इस दिन मुख्य रूप से काली उड़द की दाल की खिचड़ी का दान किया जाता है और भोजन में भी खिचड़ी ही खाई जाती है. इतना ही नहीं इस दिन स्नान और दान का भी विशेष महत्व है और पवित्र नदियों में स्नान करने से हमेशा सुख की प्राप्ति होती है.

जानिए इस दिन के क्यों बनाई जाती है काली उड़द दाल की खिचड़ी?

मकर संक्रांति के दिन काली उड़द दाल की खिचड़ी बनाने की परंपरा का विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है. यह परंपरा भारत के विभिन्न भागों में प्रचलित है. मुख्य रूप से उत्तर भारत में मकर संक्रांति के दिन काली उड़द दाल की खिचड़ी बनाई जाती है. काली उड़द दाल और चावल से बनी खिचड़ी इस दिन के लिए शुभ और पवित्र भोजन मानी जाती है. इसे दान, स्वास्थ्य और आध्यात्मिक शुद्धता से जोड़ा जाता है.

ज्योतिष के अनुसार खिचड़ी में इस्तेमाल होने वाले चावल का संबंध चंद्रमा से होता है, जबकि काली उड़द दाल का संबंध शनि और राहु से होता है. इसी तरह अगर आप खिचड़ी बनाते समय हल्दी का इस्तेमाल करते हैं तो इसका संबंध बृहस्पति ग्रह से होता है. अगर आप मकर संक्रांति के दिन काली उड़द दाल की खिचड़ी बनाते हैं तो इससे आपके चंद्रमा, शनि और बृहस्पति को मजबूत करने में मदद मिलती है. इतना ही नहीं, इस दिन काली उड़द की दाल और चावल दान करने से भी शनि दोष कम होता है.

वर्ष 2025 में मकर संक्रांति पूजा का शुभ मुहूर्त

इस वर्ष मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी 2025, मंगलवार को मनाया जाएगा. मकर संक्रांति हर वर्ष तब होती है जब सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है. सूर्य के इस गोचर को मकर संक्रांति कहते हैं.

मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को सुबह 8:55 बजे से शुरू होगा, क्योंकि इस समय सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेगा. 14 जनवरी को सुबह 8:55 से दोपहर 12:51 बजे तक का समय पुण्य काल होगा. वहीं, 14 जनवरी को सुबह 8:55 से 9:29 बजे तक का समय महापुण्य काल कहलाएगा. मकर संक्रांति के दिन ब्रह्म मुहूर्त: 14 जनवरी को सुबह 05:27 बजे से शुरू होकर सुबह 06:21 बजे तक रहेगा.

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