वन नेशन-वन इलेक्शन बिल पर बोली महुआ माजी, स्थानीय पार्टियों के खिलाफ षड्यंत्र, इंडी गठबंधन करेगी विरोध, जानिए अन्य नेताओं की प्रतिक्रिया
Ranchi : वन नेशन-वन इलेक्शन बिल पर केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को मंजूरी दे दी है. इसे संसद में जल्द ही पेश किया जाएगा. मोदी सरकार इस विधेयक को व्यापक चर्चा के लिए संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी के पास भेज सकती है. वहीं इस बिल के पास होते ही स्थानीय पार्टियां समेत अन्य नेताओं की प्रतिक्रिया भी सामने आने लगी है.
स्थानीय पार्टियों के खिलाफ षड्यंत्र- जेएमएम सांसद महुआ
जेएमएम सांसद महुआ माजी ने कहा कि बीजेपी सरकार लगातार यही चाहती है कि ऐसा हो लेकिन इससे स्थानीय पार्टियों को बहुत नुकसान होगा. महुआ माजी ने कहा कि ये लोग चाहते हैं कि देश में स्थानीय पार्टियां खत्म हो जाएं. उन्होंने कहा कि मेरे हिसाब से यह स्थानीय पार्टियों के खिलाफ़ एक साजिश है. INDIA गठबंधन एकजुट है और हम उन बिलों का विरोध करते हैं जो कई राज्यों के लिए फायदेमंद नहीं हैं. हम INDIA गठबंधन के साथ हैं और इसका विरोध करेंगे.
जानिए आरजेडी सांसद मनोज कुमार झा ने क्या कहा
वहीं इस मामले को लेकर आरजेडी सांसद मनोज कुमार झा ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस सरकार ने ही वह समिति बनाई थी और इसी समिति के प्रस्ताव पर यह बात सामने आई है. इस समय इस देश को जिस चीज की सबसे ज्यादा जरूरत है, वह है ‘एक राष्ट्र एक रोजगार’ की नीति लेकिन आप इस पर चुप हैं क्योंकि इसके लिए आपकी मेहनत लगेगी. 60 के दशक तक इस देश में ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ की नीति थी. लेकिन वह चक्र टूट गया. यह समग्र चिंता का विषय है.
यह बहुत पहले हो जाना चाहिए था – कंगना रनौत
भाजपा सांसद कंगना रनौत ने कहा कि ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ देश के लिए उत्साह की लहर लेकर आया है. सबसे पहले तो (चुनाव के दौरान) इतना खर्च होता है, सभी कर्मचारी एक महीने से ज़्यादा समय तक काम में लगे रहते हैं, सभी संस्थान ठप्प हो जाते हैं और हमारे देशवासियों को बार-बार वोट देने के लिए भेजा जाता है. यह समय की मांग है. हालाँकि, यह बहुत पहले हो जाना चाहिए था.
हम इसका स्वागत करते हैं- जेडीयू सांसद
जेडीयू सांसद संजय कुमार झा ने कहा कि हमारी पार्टी इसका स्वागत करती है. हम इस समिति के पास गए थे, जहां हमने अपनी पार्टी और अपने नेता नीतीश कुमार की ओर से समिति को अपना समर्थन दिया था. नीतीश कुमार भी इस बात के पक्षधर रहे हैं कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होने चाहिए, ऐसा देखा गया है कि यह देश हमेशा ‘चुनावी मोड’ में रहता है. एक चुनाव खत्म नहीं होता कि दूसरा आ जाता है. इससे सार्वजनिक कार्यों और विकास कार्यों को पूरा करने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है