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झारखंड निकाय चुनाव से जुड़ी अवमानना याचिका पर सुनवाई, HC ने जताई नाराजगी, सशरीर उपस्थित हुए मुख्य सचिव

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Ranchi: झारखंड में स्थानीय निकाय चुनाव को लेकर दायर अवमानना मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने अदालत के आदेश के बावजूद समय पर चुनाव प्रक्रिया शुरू नहीं होने पर नाराजगी जताई है. इस मामले में राज्य के मुख्य सचिव और नगर विकास सचिव व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश हुए. अदालत ने विस्तृत सुनवाई के लिए 10 सितंबर की तारीख तय की है. यह जानकारी झारखंड हाईकोर्ट के अधिवक्ता धीरज कुमार ने दी.

मुख्य सचिव के खिलाफ अवमानना क्यों न शुरू की जाए: हाईकोर्ट


हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि अदालत के आदेश की लगातार अनदेखी की जा रही है. मुख्य सचिव के खिलाफ अवमानना क्यों न शुरू की जाए. अगली सुनवाई से पहले अदालत ने मुख्य सचिव को निकाय चुनाव के लिए समयसीमा तय करने का निर्देश दिया है. 18 जुलाई 2025 को हुई सुनवाई के दौरान अदालत ने टिप्पणी की थी कि झारखंड में संवैधानिक व्यवस्था विफल हो गई है

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, पूर्व पार्षद रोशनी खलखो व अन्य की ओर से हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की गई थी. जिसमें कहा गया था कि झारखंड हाईकोर्ट ने 4 जनवरी 2024 को तीन हफ्ते में निकाय चुनाव कराने का आदेश दिया था. इसे डिवीजन बेंच में चुनौती दी गई, जिसे खारिज कर दिया गया. लेकिन सरकार ट्रिपल टेस्ट के बहाने चुनाव टाल रही है. तब कोर्ट ने कहा था कि ट्रिपल टेस्ट की आड़ में चुनाव नहीं रोके जा सकते.

निकाय चुनाव न कराने के खिलाफ दायर अवमानना याचिका पर जनवरी 2025 में भी सुनवाई हुई थी. उस दौरान सरकार का जवाब सुनने के बाद कोर्ट ने चार महीने में चुनाव कराने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने चुनाव आयोग को एक हफ्ते में संशोधित मतदाता सूची देने का निर्देश दिया था.

आपको बता दें कि जनवरी में हुई सुनवाई के दौरान मुख्य सचिव अलका तिवारी कोर्ट में मौजूद थीं. उन्होंने कोर्ट को बताया था कि पिछड़ा वर्ग आरक्षण को लेकर झारखंड में ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया अंतिम चरण में है. प्रक्रिया पूरी होने के बाद सरकार चार महीने में चुनाव कराएगी. इस बीच, 21 अगस्त 2025 को शहरी निकायों में ओबीसी की भागीदारी के लिए कराए जा रहे ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया पूरी हो गई. पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड के शहरी निकाय क्षेत्रों में ओबीसी मतदाताओं का दबदबा है, जबकि सामान्य वर्ग के मतदाता दूसरे नंबर पर हैं. इसी तरह, एससी मतदाता तीसरे नंबर पर और एसटी मतदाता सबसे आखिरी पायदान पर हैं.

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