JPSC : सिविल सेवा मूल्यांकन में डिजिटल क्रांति, अब ऑनलाइन होगा आंसर शीट का मूल्यांकन
Ranchi : जेपीएससी ने सिविल सेवा की आंसर शीट के मूल्यांकन में बड़ा बदलाव किया है. 11वीं, 12वीं और 13वीं सिविल सेवा मुख्य परीक्षा की आंसर शीट का मूल्यांकन पहली बार ऑनलाइन किया जाएगा. इससे पारदर्शिता भी आएगी.
155 विषय के विशेषज्ञों को दी गई जिम्मेदारी
मूल्यांकन कार्य के लिए देशभर के प्रमुख विश्वविद्यालयों के 155 विषय के विशेषज्ञों को मूल्यांकन कार्य की जिम्मेदारी दी गई है. ऑनलाइन व्यवस्था को प्रभावी और सुदृढ़ बनाने के लिए आयोग ने 100 कंप्यूटरों का अपना लैब भी तैयार किया है. जानकारी के अनुसार सिविल सेवा मुख्य परीक्षा के बाद साक्षात्कार और रिजल्ट प्रकाशन में होने वाली देरी को देखते हुए आयोग की अध्यक्ष डॉ. मेरी नीलिमा केरकेट्टा ने पहली बार इसमें बड़ा बदलाव किया है. डैशबोर्ड के जरिए इस मूल्यांकन कार्य की पूरी मॉनिटरिंग अध्यक्ष खुद करेंगी.
समय पर रिजल्ट
मूल्यांकन से पहले सभी उत्तर पुस्तिकाओं को सावधानीपूर्वक स्कैन कर कंप्यूटर पर अपलोड किया जाएगा. इसके बाद गहन मूल्यांकन कर अंक दिए जाएंगे.आयोग ने जुलाई तक साक्षात्कार और रिजल्ट प्रकाशित करने का लक्ष्य रखा है.
कोडेड होंगी उत्तर पुस्तिकाएं
मूल्यांकन कार्य में गोपनीयता बनाए रखने और किसी भी तरह की छेड़छाड़ की संभावना को रोकने के लिए आयोग इस बार सभी उत्तर पुस्तिकाओं को कोडेड करेगा. इससे परीक्षक को उत्तर पुस्तिका में नाम या रोल नंबर के बारे में कोई जानकारी नहीं मिलेगी.
200 अंकों के पेपर में सामान्य अध्ययन, पर्यावरण और प्रौद्योगिकी विकास की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन अलग-अलग विषयों के विशेषज्ञों द्वारा किया जाएगा. परीक्षक द्वारा कुल पांच खंडों के लिए एक विषय का मूल्यांकन करने के बाद उत्तर पुस्तिका स्वत: अगले विषय के मूल्यांकन के लिए अगले विषय विशेषज्ञ के पास चली जाएगी. इससे पहले उक्त पेपर के मूल्यांकन के लिए उत्तर पुस्तिकाओं को बंडल में अलग-अलग विषय विशेषज्ञों के पास भेजा जाता था. कई विषयों के विशेषज्ञों की कमी या मूल्यांकन में देरी के कारण रिजल्ट प्रभावित होता था.
342 पदों के लिए मुख्य परीक्षा सोमवार को हुई समाप्त
11वीं, 12वीं, 13वीं जेपीएससी सिविल सेवा मुख्य परीक्षा 24 जून को समाप्त हुई. इसके लिए रांची में 342 परीक्षा केंद्र बनाए गए थे. परीक्षा के लिए 7011 अभ्यर्थियों को एडमिट कार्ड जारी किए गए थे, लेकिन 80 फीसदी अभ्यर्थी ही परीक्षा में शामिल हुए.
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