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सीएम हेमंत सोरेन के बाद अब बीजेपी प्रत्याशी सीता सोरेन की उम्र विवाद का मामला आया सामने, कांग्रेस ने दर्ज करायी आपत्ति

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Ranchi: झारखंड के इस विधानसभा चुनाव में उम्र का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. संथाल परगना की बरहेट विधानसभा सीट से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के बाद अब बीजेपी प्रत्याशी सीता सोरेन की उम्र को लेकर भी विवाद की स्थिति बन रही है. यही नहीं मामला चुनाव आयोग तक पहुंच गया है. जामताड़ा विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. इरफान अंसारी के इलेक्शन एजेंट अजहरुद्दीन ने निर्वाचि पदाधिकारी को एक आपत्ति पत्र सौंपा है.

जानें निर्वाची पदाधिकारी से क्या की गई है शिकायत

निर्वाचि पदाधिकारी को लिखे पत्र में कहा गया है जामताड़ा विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी प्रत्याशी सीता मुर्मू सोरेन जो 2019 के विधानसभा चुनाव में जामा विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी थीं. दोनों के चुनावी हलफनामों में उनकी उम्र में छह साल का अंतर है. यह अंतर संदेह को जन्म देता है. कि दी गई जानकारी की प्रामाणिकता में विसंगतियां हो सकती हैं. अजहरुद्दीन ने निर्वाचन अधिकारी से मामले की गहन जांच करने का आग्रह किया है. उन्होंने अनुरोध किया कि यदि जांच में कोई अनियमितता पाई जाती है, तो भाजपा उम्मीदवार सीता मुर्मू सोरेन का नामांकन रद्द किया जाना चाहिए. इसके साथ ही अजहरुद्दीन ने इस मामले में तत्काल कार्रवाई की मांग की है, ताकि चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनी रहे. मामले की जानकारी जामताड़ा के उपायुक्त और ऑब्जर्वर को भी दी गई है.

हेमंत सोरेन के खिलाफ भी चुनाव आयोग पहुंची बीजेपी

आपत्ति दर्ज कराते हुए भाजपा ने कहा कि जब 2019 में हेमंत सोरेन 42 साल के थे तो 2024 में 47 वर्ष के होने के बजाए 49 साल के कैसे हो गए. यही नहीं भाजपा ने हेमंत सोरेन के नामांकन पर सवाल उठाते हुए उनकी उम्मीदवारी रद्द करने की मांग भी की. यहां बताते चलें कि हेमंत सोरेन की उम्र को लेकर बरहेट से बीजेपी के प्रत्याशी गमालियल हेम्ब्रम ने इसकी शिकायत निर्वाची पदाधिकारी से की. इसके साथ ही बीजेपी अब यह सवाल भी उठा रही है कि हेमंत सोरेन की आखिरकार कौन सी उम्र सही है.

शपथ पत्र में संपत्ति के ब्यौरे पर भी बीजेपी ने उठाए सवाल

मुख्यमत्री हेमंत सोरेन की ओर से पेश किए गए शपथ पत्र में संपत्ति के ब्यौरे को लेकर भी बीजेपी ने सवाल उठाए. हेमंत ने अपने संपत्ति का ब्योरा देते हुए कई ऐसी जमीनों को विवरण दिया है, जिसे उन्होंने 2019 के पहले ही खरीदा था, लेकिन उस वक्त नॉमिनेशन में उनका उल्लेख नहीं किया गया था. इसके अलावा 2019 में हेमंत सोरेन ने नामांकन पत्र में अपने नाम पर सिर्फ दो गैर कृषि भूखंडों पर अपना स्वामित्व बताया था, जबकि इस बार उन्होंने ऐसे 23 भू-खंडों का ब्योरा दिया है.

मुख्यमंत्री हेमंत के हलफनामे के मुताबिक इनमें से अधिकतर प्लॉट उन्होंने 2006 से 2008 के बीच खरीदे थे. ऐसे में उन पर संपत्ति का गलत ब्योरा देने और भारत निर्वाचन आयोग से तथ्य छिपाने का आरोप लगाया गया है. हालांकि बरहेट सीट के लिए नामांकन पत्रों की जांच 30 अक्टूबर को हो चुकी है और हेमंत सोरेन का पर्चा स्वीकार कर लिया गया है.

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