Karnataka High Court: कर्नाटक हाई कोर्ट की अहम टिप्पणी-‘भारत माता की जय’ बोलना नफरत फैलाने वाला भाषण नहीं’
Karnataka High Court: कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा है कि ‘भारत माता की जय’ का नारा सिर्फ सौहार्द बढ़ाता है, इससे कभी दुश्मनी नहीं फैलती. विभिन्न धर्मों और समूहों के बीच दुश्मनी फैलाने वाले भाषण या गतिविधि से संबंधित आईपीसी की धारा 153ए के दुरुपयोग पर चिंता जताते हुए कोर्ट ने इस और कुछ अन्य धाराओं के तहत पांच लोगों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया.
कोर्ट ने कहा, ‘ऐसे मामले में जांच जारी रखने की अनुमति देने का मतलब प्रथम दृष्टया भारत माता की जय का नारा लगाने के मामले की जांच की अनुमति देना होगा. जबकि इस नारे को किसी भी तरह से धर्मों और समूहों के बीच दुश्मनी या शत्रुता बढ़ाने वाला नहीं माना जा सकता.’ 20 सितंबर को दिए आदेश में हाईकोर्ट के जस्टिस एम. नागप्रसन्ना ने धारा 153ए की व्याख्या करते हुए सुप्रीम कोर्ट के कई पिछले फैसलों का हवाला दिया. उन्होंने कहा, ‘मौजूदा मामला इस धारा के दुरुपयोग का अच्छा उदाहरण है.’
बता दें कि यह एफआईआर एक मुस्लिम व्यक्ति की शिकायत के बाद दर्ज की गई थी. एफआईआर में आरोप लगाया था कि याचिकाकर्ताओं ने उसे धमकाया था. इस पर टिप्पणी करते हुए जस्टिस नागप्रसन्ना ने कहा कि यह याचिकाकर्ताओं द्वारा दर्ज की गई शिकायत का जवाबी हमला है. इस मामले में धारा 153ए का एक भी घटक पूरा नहीं किया गया है. धारा 153ए के अनुसार, यदि विभिन्न धर्मों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा दिया जाता है, तो यह एक अपराध है. वर्तमान मामला आईपीसी की धारा 153ए के दुरुपयोग का एक उत्कृष्ट उदाहरण है.
