हेमंत ने कैबिनेट से साधा जातीय समीकरण, फिट बैठा 6-4-1 का फॉर्मूला, क्या ये है विधानसभा चुनाव फतह करने का प्लान!
रांची(RANCHI) : 8 जुलाई को हेमंत कैबिनेट का विस्तार हुआ. कैबिनेट विस्तार में 6-4-1 का फॉर्मूला फिट किया गया है. इसके साथ ही मंत्रिमंडल में जातिगत समीकरण को भी पूरी तरह से फिट किया गया है. सभी वर्गों के लोगों को जगह मिली है. सवर्ण से लेकर दलित वोट बैंक को पूरी तरह से साधने की कोशिश की गई है. मंत्रिमंडल में आदिवासी समाज को भी महत्व मिला है. वहीं कुर्मी समाज के प्रतिनिधि के तौर पर बेबी देवी को मंत्रिमंडल में जगह दी गई है. इस मंत्रिमंडल का गठन कर हेमंत सरकार ने आरोपों और विवादों से बचने की भी कोशिश की है.
परिवारवार के आरोप का किया गया दरकिनार
भाई बसंत सोरेन को मंत्री न बनाकर हेमंत सोरेन ने भाई-भतीजावाद के आरोपों को दरकिनार करने की कोशिश की है. मंत्री पद के बंटवारे में जेएमएम ने जातिगत समीकरण का भी पूरा ख्याल रखा है. इसमें ब्राह्मण, कुर्मी, मुस्लिम, अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति को महत्व दिया गया है. यही वजह है कि आदिवासी, मुस्लिम और कुर्मी चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते हैं. वहीं कांग्रेस ने भी सभी वर्गों का ख्याल रखा है. कांग्रेस ने आदिवासी समाज से डॉ. रामेश्वर उरांव, मुस्लिम समाज से इरफान अंसारी, सवर्ण जाति से दीपिका पांडे सिंह और ओबीसी से बन्ना गुप्ता को मंत्री बनाया है.
झामुमो का जातिगत समीकरण
मिथिलेश ठाकुर- ब्राह्मण,
बेबी देवी-कुर्मी
हफीजुल हसन-मुस्लिम
दीपक बिरुआ-अनुसूचित जनजाति
बैद्यनाथ राम-अनुसूचित जाति
झारखंड में 14 फीसदी मुस्लिम मतदाता
झामुमो और कांग्रेस दोनों ने अपने कोटे से सवर्ण जाति से एक-एक मंत्री बनाया है. झामुमो ने ब्राह्मण समुदाय को खुश रखने के लिए मिथिलेश ठाकुर को मंत्री बनाया है, जो मैथिली ब्राह्मण हैं. कांग्रेस ने दीपिका पांडे सिंह को मंत्री बनाकर राजनीतिक संदेश देने की कोशिश की है.
राज्य में दलितों की आबादी करीब 11 फीसदी है. झामुमो-कांग्रेस ने अपने कोटे से दलित समुदाय से एक-एक मंत्री बनाया है, जबकि राजद कोटे से मंत्री बने सत्यानंद भोक्ता दलित समुदाय से आते हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव में भारत गठबंधन को राज्य में दलित और आदिवासी समुदाय का अच्छा समर्थन मिला है.
ऐसे में दलित वोटों को खुश रखने के लिए भारत गठबंधन की तीनों पार्टियों ने अपने कोटे से जगह देकर राजनीतिक संदेश देने का दांव खेला है. झारखंड में 14 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं, जिन्हें झामुमो और कांग्रेस का कोर वोट बैंक माना जाता है. इसीलिए दोनों पार्टियों ने अपने-अपने कोटे से एक-एक मुस्लिम को मंत्री बनाया है और उन्हें महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी सौंपी है.